Tuesday, September 05, 2006

कुछ विशेष क्षण


बेशक छोटे हों लेकिन (ग़ज़ल)

बेशक छोटे हों लेकिन धरती का हिस्सा हम भी हैं
जैसे प्रभु की सारी रचना, वैसी रचना हम भी हैं।

इतना भी आसान नहीं है पढ़ना और समझ पाना
सुख की दुख की संघर्षों की पूरी गाथा हम भी हैं।

आज नहीं हो कल तुमको भी साथ हमारे चलना है
एक ज़माना तुम भी थे तो एक ज़माना हम भी हैं।

फ़न ने ही हमको दी है मर्यादा जीने मरने की
तो फिर फन के जीने मरने की मर्यादा हम भी हैं।

ईश्वर ने तो लिख रक्खा है सबके माथे पर लेकिन
अपने सुख के अपने दुख के एक विधाता हम भी हैं।

जब जब भी इच्छा होती है रास रचा लेते हैं हम
अपने मन के वृंदावन के छोटे कान्हा हम भी हैं।

-कमलेश भट्ट कमल

सफलता पाँव चूमे

ग़ज़ल

सफलता पाँव चूमे गम का कोई भी न पल आए
दुआ है हर किसी की जिन्दगी में ऐसा कल आए।

ये डर पतझड़ में था अब पेड़ सूने ही न रह जाएँ
मगर कुछ रोज़ में ही फिर नए पत्ते निकल आए।

हमारे आपके खुद चाहने भर से ही क्या होगा
घटाएँ भी अगर चाहें तभी अच्छी फसल आए।

हमें बारिश ने मौका दे दिया असली परखने का
जो कच्चे रंग वाले थे वो अपने रंग बदल आए।

जहाँ जिस द्वार पर देखेंगे दाना आ ही जाएँगे
परिन्दों को भी क्या मतलब कुटी आए महल आए।

हमारा क्या हम अपनी दुश्मनी भी भूल जाएँगे
मगर उस ओर से भी दोस्ती की कुछ पहल आए।

अभी तो ताल सूखा है अभी उसमें दरारें हैं
पता क्या अगली बरसातों में उसमें भी कमल आए।

-‍‍कमलेश भट्ट कमल